घर में बेहतर बल्ब लगाकर बिजली कैसे बचाएं :- आज के अपने इस आर्टिकल में हम आपको अपने घर में बल्ब लगाने के बारे में बतायेगे कि आपको कौन सा बल्ब लगाना चाहिए जो आपके घर को रोशन करने के साथ साथ आपके घर की बिजली भी बचाए। आज के समय में बिजली हमारे जीवन की एक जरुरी हिस्सा बन गयी है और हमारे काफी ज्यादा काम इस बिजली की मदद से ही होते है ऐसे में हम सभी को बिजली की बचत करनी चाहिए।
आज के अपने इसी आर्टिकल में हम आपको हमारे देश के सबसे अच्छे बिजली के बल्ब के बारे में जैसा कितने वाट का बल्ब लेना चाहिए, उसकी कीमत कितनी होती है या फिर उसकी लागत क्या आती है इन सभी जानकारी के बारे में बतायेगे। इसके साथ ही आपको ये भी बतायेगे कि आपको कौन से बल्ब खरीदने चाहिए और क्यों खरीदने चाहिए। अगर आप बल्ब के बारे में यह सभी जानकारी लेना चाहते है तो आप हमारे इस आर्टिकल पर बने रहे और इसे अंत तक पढ़े।
अपने घर में बेहतर बल्ब लगाकर बिजली कैसे बचाएं? | How to save electricity by installing better bulbs in your home
जब भी आप कोई नया घर बनवाते है या फिर आपके घर में लगा हुआ बल्ब ख़राब हो जाता है तब आपको इसके बारे में सोचना पड़ता है कि अब कौन सा बल्ब खरीदना चाहिए या फिर आपको अपने कमरे के लिए या हॉल के लिए कितने वाट का बल्ब खरीदना चाहिए। यह काफी जरुरी सवाल होता है कि अगर आप कमरे में ज्यादा वाट का बल्ब लगा दे तो कमरे में जरूरत से ज्यादा रौशनी हो जाती है जिससे आँखों में समस्या होती है इस तरह अगर आप हॉल में कम वाट का बल्ब लगा देते है तो हॉल में पर्याप्त रौशनी नही हो पाती है। आज के अपने इस आर्टिकल में हम आपको इसके बारे में सभी जानकारी देगे.
जिससे आप अपने घर के वाल्व के लिए एक बेहतर चुनाव कर सके। कुछ सालो पहले लोग अपने घरो में सामान्य बल्ब या फ्लोरोसेंट ट्यूबलाइट का प्रयोग करते थे लेकिन जब से एलईडी बल्ब की खोज हुई तब इसे बल्ब की वजह से बिजली बचाने और प्रकाश में काफी सुधार हुआ है। यह एलईडी बल्ब सामान्य बल्ब से महगे होते है लेकिन इनकी उम्र सामान्य बल्ब से ज्यादा होती है और इनका प्रकाश भी समानस्य बल्ब से अच्छा होता है। हमारे इस आर्टिकल में आपको इस बल्ब के बारे में जानकारी दी जा रही है।
बल्ब के प्रकार (Types of Bulbs)
अगर आप बल्ब के प्रकार के बारे में जानना चाहते है कि कौन सा बल्ब किस प्रकार का होता है तो आप नीचे दी जा रही जानकारी को पढने सकते है।
1. इंकडेसेंट (Incandescent) बल्ब
यह बल्ब वो बल्ब है जो रौशनी के रूप में पीले प्रकाश को प्रदान करते है ये बल्ब काफी पुराने सिधान्त पर काम करते है। यह विभन्न वाट में उपलब्ध होते है जैसे 40W, 60W और 100W। यह बल्ब काफी ज्यादा गर्मी उत्पन्न करते है जिसके कारण यह बिजली की काफी ज्यादा खपत करते है। यह बल्ब अपने द्वारा खर्च की गयी उर्जा का आधे से ज्यादा हिस्सा गर्मी के रूप में व्यर्थ कर देते है। लेकिन इन बल्ब का सबसे बड़ा एडवांटेज यह है कि यह बल्ब काफी सस्ते होते है लेकिन यह बल्ब काफी ज्यादा बिजली की खपत करते है जिसके कारण हमारा बिजली का बिल भी काफी ज्यादा आता है। वर्तमान समय में दुनिया के कई देशों ने इन बल्बों का भी उत्पादन बंद कर दिया है जिससे बिजली की बचत की जा सके।
2. फ्लोरोसेंट लैंप (Fluorescent Lamp) :
यह फ्लोरोसेंट लैंप, इंकडेसेंट बल्ब की तरह ही होती है लेकिन इन बल्बों में से प्रकाश, इंकडेसेंट बल्ब के मुकाबले ज्यादा अच्छा होता है और यह उनसे कम बिजली की खपत करते है। शुरुआत में यह बल्ब ट्यूब लाइट के रूप में आना शुरू हुए थे और बाद में उनको बदल कर सीएफएल के रूप में बाज़ार में भेजा गया था जिससे इंकंडेसेंट लैंप के होल्डर मे ही रेट्रोफिटमेंट किया जा सकता था। हर फ्लोरोसेंट लैंप में एक बलास्ट होता है जो हाई वाल्ट पैदा करके आर्क स्ट्राइक करके बिजली के करंट को स्थिर करने के लिए प्रयोग किया जाता था.
लेकिन अब इसकी जगह पर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक बलास्ट का प्रयोग किया जाता है जो फ्लोरोसेंट लैंप को सुरक्षित रखता है जिससे गर्मी से यह पिघल ना जाये। इलेक्ट्रोमैग्नेटिक बलास्ट, इलेक्ट्रॉनिक बलास्ट की तुलना में बहुत कम बिजली की खपत करता है जिससे लोगो को काफी फायदा मिलता है। यह ट्यूबलाइट बाजार में विभिन्न प्रकार के उपलब्ध है जो T12, T8 और T5 मे मिलते है। यह संख्या ट्यूब लाइट के ट्यूब के व्यास को बताती है।
यह नंबर जितना कम होता है ट्यूब लाइट की दक्षता उतनी ही अधिक होती है। एक इलेक्ट्रोमैग्नेटिक बलास्ट के साथ एक T12 की ट्यूब लाइट 55W बिजली की खपत करती है जबकि लेकिन इलेक्ट्रॉनिक बलास्ट वाली एक T5 नंबर की ट्यूब लाइट केबल 28W बिजली की खपत करती है । यह बाकि बल्ब से महगे होते है लेकिन उनकी लाइफ काफी ज्यादा होती है और यह आमतौर पर 3 से 4 साल तक चल जाती है।
3. सीएफएल (Compact Fluorescent Lamp)
सीएफएल को काफी समय से बिजली बचाने का काफी अच्छा विकल्प माना जाता रहा है। यह सीएफएल, फ्लोरोसेंट लैंप का ही एक प्रकार है जो इंकडेसेंट लैंप के रेट्रो फिटमेंट के लिए विकसित किया गया है। यह सीएफएल लाइट के एक सोर्स के रूप में वर्क करती है जबकि ट्यूब लाइट लाइन स्रोत की तरह काम करती है।
इसीलिए सीएफएल, ट्यूब लाइट की तुलना में कम रोशनी का उत्सर्जन करती है और साथ ही सीएफएल को कम वोल्टेज पर भी प्रयोग में लिया जा सकता है जबकि ट्यूबलाइट के लिए कुछ ज्यादा ही वोल्टेज की जरूरत होती है। सीएफएल एक सामान्य इंकंडेसेंट लैंप की तुलना में 70% ज्यादा उर्जा की बचत की जा सकती है।
4. एलईडी (Light emitting diode)
एलईडी आज के समय में सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाले बल्ब है। यह एलईडी बल्ब आज तक बनाये गये सभी बल्बों में से सबसे ज्यादा बिजली की बचत करता है और साथ ही काफी अच्छा प्रकाश भी प्रदान करता है। यह अभी तक का सबसे अच्छा प्रकाश का विकल्प हैं जो बाजार में उपलब्ध हैं। इस एलईडी बल्ब की उम्र लगभग 10 से 25 वर्षों तक की होती है। यह बल्ब बाकि बल्बों की तुलना में महगे भी आते है लेकिन जैसे जैसे देश में इनका प्रोडक्शन बढ़ रहा है वैसे ही इन एलईडी बल्बों का दाम कम होता जा रहा है। एलईडी बल्ब प्रकाश के काफी अच्छे श्रोत है इन दिनों बाजार में एलईडी बल्ब के कई विकल्प मौजूद है जो 18 वाट, 20 वाट, और 22 वाट के जैसे आप अपनी जरूरत के अनुसार खरीद सकते है।
बल्ब खरीदने के लिए कुछ सुझाब (Suggestion to buy New Bulbs) :
अगर आप बाजार से बल्ब खरीदने जाते है तो वहां आपको कई तरह के और कई वाट के बल्ब मिल जाते है तो आप नीचे दिए जा रहे कुछ टिप्स को पढने के बाद आप अपने लिए बेहतर बल्ब चुन सकते है।
1. लुमेन आउटपुट यह किसी बल्ब से निकलने वाले प्रकाश को नापने का मात्रक होता है। किसी भी बल्ब के लुमेन आउटपुट लैंप की दक्षता को लुमेन / वाट से मापा जाता है कि उस बल्ब का लुमेन आउटपुट कितना है। यदि बल्ब में इनपुट वाट में है तो उसका आउटपुट लुमेन में होगा।
2. प्रकाश के वितरण का कोण किसी भी बल्ब में से निकलने वाला प्रकाश उस प्रकाश के वितरण कोण पर भी निर्भर करता है। किसी भी बल्ब में एलईडी एक बिंदु स्रोत होता है और उसके द्वारा उत्सर्जित प्रकश के कोण को माप कर यह पता लगाया जाता है कि उत्पादित प्रकाश सघन है या चमकदार है जो स्पॉटलाइट, फ्लडलाइट, वाइड फ्लडलाइट और बहुत ज्यादा फ्लडलाइट की आवश्यकता वाले बड़े अनुप्रयोगों के लिए बनाया जाता है।
3. रंग प्रतिपादन सूचकांक (CRI) किसी बल्ब को लेने से पहले आपको इसके बारे में भी पता होना चाहिए कि उस बल्ब के प्रकाश का सूचकांक क्या है जिसका मतलब प्रकाश के रंग से होता है। किसी बल्ब का रंग प्रतिपादन सूचकांक यह बताता है कि उस बल्ब से निकलने वाला प्रकाश वास्तविक प्रकाश के कितने करीब है। इस रंग प्रतिपादन सूचकांक को 0 से 100 के बीच मापा जाता है। यह CRI जितना अधिक होगा बल्ब से निकलने वाले प्रकाश की गुणवत्ता उतनी अच्छी होगी और यह जितना कम होगा बल्ब से निकलने वाले प्रकाश की गुणवत्ता उतनी ही कम होगी।
4. केल्विन स्केल पर रंग का तापमान किसी बल्ब के रंग को मापने के लिए इसका प्रयोग होता है यह केल्विन स्केल पर रंग का तापमान यह दर्शाता है कि वाणिज्यिक और आवासीय प्रकाश अनुप्रयोगों के लिए यह बल्ब कितना जरुरी है। यह बल्ब द्वारा उत्सर्जित किये गये प्रकाश के रंग का वर्णन करने का एक तरीका है, इसे केल्विन में मापा जाता है।
5. वर्तमान समय के इन बल्बों को 100-120 लुमेन / वाट से 200 लुमेन / वाट तक बनाये जा सकते है जो भविष्य में काफी काम आ सकते है।
6. इन LED बल्ब में कोई कोई वार्म-अप टाइम नही लगता है जिसके कारण यह बल्ब स्विच ऑन करते ही तुरंत प्रकाश देने लगते है जबकि पुराने CFL बल्ब में बल्ब ऑन होने में समय लगता था।
7. इन LED बल्ब को बार-बार स्विच ऑन या ऑफ करने से इनकी लाइफ पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
8. इन LED बल्ब में प्रकाश के बीम कोण के बढ़ने के लिए एक बिशेष प्रकार के एलईडी चिप को इसमें इस्तेमाल किया जाता है जिसके कारण इसमें एक से अधिक एलईडी लगाई जा सकती है और इससे पहले के मुकाबले और अच्छा प्रकाश निकलता है।
9. यह बल्ब वोल्टेज ज्यादा या कम होने से ख़राब होने के लिए भी बनाये गये है और यह बल्व 160 वाट से 280 वाट तक के वोल्टेज के उतार-चढ़ाव को सहन कर सकते है।
निष्कर्ष
बढ़ती महंगाई को देखते हुए आज हर कोई अपने पैसे बचाना चाहता है फिर चाहे वह घर के कार्य से जुड़े हुए हो या बाहर के कार्य से जुड़े हो। घर के काम की बात करते है तो आज घर मे इस्तेमाल की जाने वाली बिजली का बिल काफ़ी महंगा हो चुका है।
जिसे बचाने के लिए अनेक प्रकार के कार्य करते है। इसलिए आज हमने आपको अपने इस आर्टिकल की मदद से घर में बेहतर बल्ब लगाकर बिजली कैसे बचाएं? से जुड़ी जानकारी आपको साझा की है। आशा करती हो कि आपको दी गयी जानकारी महत्वपूर्ण रही होगी।